Haldighati Full Poem Lyrics by Shyam Narayan Pandey: हल्दीघाटी खण्डकाव्य 1576 में मान सिंह की कमान में मुगल सेना और मेवाड़ के महाराणा प्रताप की सेना के बीच लड़ी गई हल्दीघाटी की लड़ाई को याद करती है। इस खण्डकाव्य की रचना प्रसिद्ध हिंदी कवि श्याम नारायण पाण्डेय ने 19वीं शताब्दी में की थी।
सम्पूर्ण हल्दीघाटी खण्डकाव्य में 700 से अधिक छंद हैं जो 18 अलग-अलग खंडो में विभक्त हैं। इसमें विस्तार से युद्ध की घटनाओं, महाराणा प्रताप और उनके सैनिकों की बहादुरी, दोनों पक्षों द्वारा नियोजित रणनीति और युद्ध के बाद का सजीव वर्णन है।
महाराणा प्रताप और बादशाह अकबर की लड़ाई भारतीय इतिहास की महानतम शौर्य गाथाओं में शामिल हैं। एक तरफ अकबर की ये जिद की मेवाड़ को मुगलिया सल्तनत के आगे झुकना ही होगा; दूसरी ओर महाराणा प्रताप की ये सौगंध की घास की रोटियाँ खाकर जी लेंगे लेकिन एक ज़ालिम को जिल-ए-इलाही नहीं कहेंगे। ये वो दौर था जब पानीपत का युद्ध जीतकर अकबर लगभग पूरे भारतवर्ष का बादशाह बन चुका था।
पंजाब से बंगाल और और कश्मीर से विंध्य तक उसका साम्राज्य था। उसकी चमकती हुई तलवारों के आगे पूरा भारत नतमस्तक हो चुका था। अनगिनत राजे-रजवाड़े के ताज अकबर के कदमों में गिरे हुए थे। लेकिन मेवाड़-विजय का स्वप्न अब भी अधूरा था। अकबर ने कई बार प्रयास किया- साम, दाम, दण्ड, भेद सब कुछ आजमा लिया लेकिन राजपूती स्वाभिमान के आगे सब व्यर्थ था।
अब युद्ध निश्चित था। 1576 ईस्वी में उदयपुर से 40 किलोमीटर दूर हल्दीघाटी के मैदान में महाराणा प्रताप अकबरी सेना से जा टकराए। ऐसा युद्ध हुआ की हल्दीघाटी, जिसकी मिट्टी हल्दी के रंग जैसे पीली हुआ करती थी, कई दिनों तक लहू से लाल रही।
हल्दीघाटी का ये युद्ध राजस्थान के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना थी। संख्या में कम होने के बावजूद भी मेवाड़ी सैनिक इतने बहादुरी से लड़े की शत्रुओं को अपना लोहा मनवा दिया। हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप ने अपने भाले से इतिहास लिख दिया और वर्षों बाद महाकवि श्याम नारायण पाण्डेय ने इसी इतिहास को अपनी लेखनी से पुनर्जीवित कर दिया।
आज, हल्दीघाटी खंडकाव्य को हिंदी साहित्य की एक उत्कृष्ट कृति माना जाता है और भारत में व्यापक रूप से पढ़ा जाता है। ये कविता न केवल महाराणा प्रताप और उनके सैनिकों की वीरता का जश्न मनाती है बल्कि भारतीय संस्कृति में उच्च सम्मान वाले गुणों जैसे साहस, सम्मान और बलिदान के मूल्यों को भी उजागर करती है।
आज के समय में इस कविता को कई नाटकों और फिल्मों में रूपांतरित किया जा चुका है, और इसकी लोकप्रियता दुनिया भर के हिंदी भाषी लोगों के बीच आज भी बनी हुई है।
चलिए सबसे पहले हल्दीघाटी खण्डकाव्य के बारे में संक्षेप मे कुछ समझ लेते हैं। फिर आप इसी पेज पर नीचे दिए गए लिंकों के माध्यम से Haldighati Full Poem या फिर कहें की Haldighati Lyrics को पढ़ पायेंगे।
Haldighati Kavita के बारे में
📌काव्य | हल्दीघाटी |
📁कुल सर्ग | 18 |
✍️रचयिता | श्याम नारायण पाण्डेय |
🏷️प्रकार | खण्डकाव्य |
🗓️प्रकाशन वर्ष | सन् 1939 ईस्वी |
Haldighati Book
हल्दीघाटी श्याम नारायण पाण्डेय द्वारा लिखित एक खण्डकाव्य है जो राजपूताना इतिहास पर आधारित है। इसमें महाराणा प्रताप सिंह के वीरता और दृढ़ संकल्प को बखूबी दर्शाया गया है। इस किताब की कीमत आप Amazon पर देख सकते हैं।
Haldighati Full Poem all Sarg
हल्दीघाटी प्रथम सर्ग: Haldighati Sarg 1
हल्दीघाटी द्वितीय सर्ग: Haldighati Sarg 2
हल्दीघाटी तृतीय सर्ग: Haldighati Sarg 3
हल्दीघाटी चतुर्थ सर्ग: Haldighati Sarg 4
हल्दीघाटी पंचम सर्ग: Haldighati Sarg 5
हल्दीघाटी षष्ठ सर्ग: Haldighati Sarg 6
हल्दीघाटी सप्तम सर्ग: Haldighati Sarg 7
हल्दीघाटी अष्टम सर्ग: Haldighati Sarg 8
हल्दीघाटी नवम सर्ग: Haldighati Sarg 9
हल्दीघाटी दशम सर्ग: Haldighati Sarg 10
हल्दीघाटी एकादश सर्ग: Haldighati Sarg 11
हल्दीघाटी द्वादश सर्ग: Haldighati Sarg 12
हल्दीघाटी त्रयोदश सर्ग: Haldighati Sarg 13
हल्दीघाटी चतुर्दश सर्ग: Haldighati Sarg 14
हल्दीघाटी पंचदश सर्ग: Haldighati Sarg 15
हल्दीघाटी षष्ठदश सर्ग: Haldighati Sarg 16
हल्दीघाटी सप्तदश सर्ग: Haldighati Sarg 17
हल्दीघाटी अष्टादश सर्ग: Haldighati Sarg 18